Know About VIBHOO BAJPAI
देश व लखनऊ शहर के “सबसे अनुभवी नवयुवा” में विभू बाजपेई का नाम आता है, जिन्हें वर्ष 2010 में तत्कालीन राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल जी ने “बहुमुखी प्रतिभा के लिये राष्ट्रीय बाल पुरस्कार” से सम्मानित किया,जो युवा होते होते माहिर शास्त्रीय नृत्यांगना ही नहीं वरन 100 से अधिक शिष्यों की गुरु भी बन गयीं।
विभू गत आठ वर्षों से पद्मविभूषण डॉ सोनल मानसिंह , राज्यसभा सदस्य की प्रिय शिष्य हैं तथा उनके साथ अक्सर विभिन्न शहरों में प्रस्तुतियाँ देती रहती हैं ।
विभू की माँ के हिसाब से सबसे सुंदर शब्दों में से हैं वे शब्द जब बच्चे एडमिशन के लिए आते हैं और कहते हैं मुझे विभू दीदी जैसे बनना है।
विभू यूँ तो भरतनाट्यम,कथक,उपशास्त्रीय नृत्य व लोकनृत्यों में महारत हासिल किये हैं व गायन व लेखन में भी अच्छा दखल रखती हैं पर इन सबके इतर खेलों जैसे तैराकी , ताइक्वांडो व कलरिपायट्टू जैसी विधाओं में भी खूब रुचि रखती हैं था क्वालिफाइड कोच हैं।
विभू ने कलारिपायट्टू विधा की भरतनाट्यम संग बेहद सुंदर कोरियोग्राफी उतारी हैं विभिन्न मंचों पर।
मात्र 12 वर्ष की कम उम्र से अपनी स्वयं की निर्देशित नृत्यनाटिकाओं का मन्चन विभू अपने शिष्यों के साथ कर रही हैं वह भी शास्त्रीय व उपशास्त्रीय विधाओं में जो अपने आप मे विलक्षण है।
इनकी कुछ विशेष प्रस्तुतियाँ शिवोहम, नवरस, सब है अपूर्ण संगीत बिना…, शक्ति, बुद्धचरित्र, कृष्ण, सप्तदेव , अलंकार इत्यादि लोगों के स्मृतिपटल पर वर्षों से अंकित हैं।